Indian Economy Questions Answers MCQ gk 2021 in hindi Indian Economy current affairs & World Economic Affairs in jagranjosh economy current affairs section 2021
प्रश्न 1. विदेशी निवेश को परिभाषित कीजिए। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से होने वाले लाभों की चर्चा कीजिए।
उत्तर विदेशीपूंजी का वह प्रवाह जो किसी देश की कंपनियों परिसंपत्तियों में स्वामित्व। हिस्सेदारी के रूप में निवेश किया जाता है तथा उसके प्रबंधन मंे सक्रिय भागीदारी दिखाई जाती है। विदेश निवेश कहलाता है।
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के लाभ:
1. इससे किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की क्षमता बढ़ती है।
2. सेवाओं की आपूर्ति बढ़ने से अर्थव्यवस्था का आधार खड़ा होता है।
3. इससे केवल पूंजी आती है बल्कि प्रबंधन, तकनीकी, कार्य-संस्कृति, अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम एवं नीतियों के साथ ही दक्षता आती है।
4. रोजगार एवं स्वरोजगार के अवसर बढ़ते हैैं।
5. यह स्थायी प्रकृति का है अतः अर्थव्यवस्था के वर्तमान का पता चलता है।
उत्तर विदेशीपूंजी का वह प्रवाह जो किसी देश की कंपनियों परिसंपत्तियों में स्वामित्व। हिस्सेदारी के रूप में निवेश किया जाता है तथा उसके प्रबंधन मंे सक्रिय भागीदारी दिखाई जाती है। विदेश निवेश कहलाता है।
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के लाभ:
1. इससे किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की क्षमता बढ़ती है।
2. सेवाओं की आपूर्ति बढ़ने से अर्थव्यवस्था का आधार खड़ा होता है।
3. इससे केवल पूंजी आती है बल्कि प्रबंधन, तकनीकी, कार्य-संस्कृति, अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम एवं नीतियों के साथ ही दक्षता आती है।
4. रोजगार एवं स्वरोजगार के अवसर बढ़ते हैैं।
5. यह स्थायी प्रकृति का है अतः अर्थव्यवस्था के वर्तमान का पता चलता है।
प्रश्न2. बहुराष्ट्रीय कंपनियां क्या हंै? बहुराष्ट्रीय कंपनियों से होने वाले लाभ लिखिए।
उत्तर ऐसीकंपनियां जो एक से अधिक देशों में काम करती हैं तथा जो अपनी आय का 25 प्रतिशत से अधिक बाहर के देशों से प्राप्त करती है, बहुराष्ट्रीय कंपनियां हंै। इनसे होने वाले लाभ निम्न हैं:
1. व्यापक स्तर पर निवेश को बढ़ावा मिलता है।
2. इनकी स्थापना से रोजगार और स्वरोजगार को बढ़ावा मिलता है।
3. देश में तकनीकी एवं प्रबंधन की प्राप्ति होती है।
4. अर्थव्यवस्था का आकार क्षमताओं का विस्तार होता है।
5. प्रतिस्पर्धा बढ़ने से अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा मिलता है तथा वैश्विक स्तर पर बेहतर संबंधों का दौर शुरू होता है। जैसे - भारत-जापान।
उत्तर ऐसीकंपनियां जो एक से अधिक देशों में काम करती हैं तथा जो अपनी आय का 25 प्रतिशत से अधिक बाहर के देशों से प्राप्त करती है, बहुराष्ट्रीय कंपनियां हंै। इनसे होने वाले लाभ निम्न हैं:
1. व्यापक स्तर पर निवेश को बढ़ावा मिलता है।
2. इनकी स्थापना से रोजगार और स्वरोजगार को बढ़ावा मिलता है।
3. देश में तकनीकी एवं प्रबंधन की प्राप्ति होती है।
4. अर्थव्यवस्था का आकार क्षमताओं का विस्तार होता है।
5. प्रतिस्पर्धा बढ़ने से अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा मिलता है तथा वैश्विक स्तर पर बेहतर संबंधों का दौर शुरू होता है। जैसे - भारत-जापान।
प्रश्न3. कैपिटल गुड्स नीति-2016 के लक्ष्य क्या हैं?
उत्तर पूंजीगतउत्पादों के उत्पादन को देश में ही बढ़ावा देने हेतु पहली बार राष्ट्रीय कैपिटल गुड्स नीति मई 2016 में घोषित की गई, ताकि विदेशों पर निर्भरता कम हो सके। इस नीति के लक्ष्य निम्न हैं-
1. देश में पूंजीगत उत्पादों के उत्पादन को अगले 10 वर्षों में तीन गुना कर रोजगार के दो करोड़ नए अवसर सृजित
करना।
2. वर्तमान में कैपिटल गुड्स का वार्षिक उत्पादन 2.30
लाख करोड़ है जिसे 2025 तक बढ़ाकर 7.50 लाख करोड़ करने का लक्ष्य इस नीति में निर्धारित किया गया है।
3. कैपिटल गुड्स के निर्यात का भी लक्ष्य नई नीति में निर्धारित किया गया है। जिसे मौजूदा 27 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत निर्यात का लक्ष्य रखा गया है।
4. भारत को 'विश्वसनीय कैपिटल गुड्स केन्द्र' का विजन साकार होगा और 'मेक इन इंडिया' को भी बढ़ावा मिलेगा।
उत्तर पूंजीगतउत्पादों के उत्पादन को देश में ही बढ़ावा देने हेतु पहली बार राष्ट्रीय कैपिटल गुड्स नीति मई 2016 में घोषित की गई, ताकि विदेशों पर निर्भरता कम हो सके। इस नीति के लक्ष्य निम्न हैं-
1. देश में पूंजीगत उत्पादों के उत्पादन को अगले 10 वर्षों में तीन गुना कर रोजगार के दो करोड़ नए अवसर सृजित
करना।
2. वर्तमान में कैपिटल गुड्स का वार्षिक उत्पादन 2.30
लाख करोड़ है जिसे 2025 तक बढ़ाकर 7.50 लाख करोड़ करने का लक्ष्य इस नीति में निर्धारित किया गया है।
3. कैपिटल गुड्स के निर्यात का भी लक्ष्य नई नीति में निर्धारित किया गया है। जिसे मौजूदा 27 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत निर्यात का लक्ष्य रखा गया है।
4. भारत को 'विश्वसनीय कैपिटल गुड्स केन्द्र' का विजन साकार होगा और 'मेक इन इंडिया' को भी बढ़ावा मिलेगा।
प्रश्न4. नैरोबी घोषणा-2015 से भारतीय खाद्य सुरक्षा कानून एवं कृषि सीधे तौर पर प्रभावित हो रहा है, चर्चा कीजिए।
उत्तर WTOकी दोहा दौर की वार्ता में यह निर्णय लिया गया था कि कोई भी अल्प विकसित देश कृषि हेतु 10 प्रतिशत सब्सिडी तथा विकसित देश 5 प्रतिशत सब्सिडी दे सकता है तथा बाली घोषणा के पीस क्लाॅज के तहत खाद्य सुरक्षा की सुविधा 5 वर्ष के लिए दी गई, लेकिन नैरोबी घोषणा-2015 में इन दोनों ही मुद्दों का कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला जा सका। इससे भारत का खाद्य सुरक्षा कानून सीधे तौर पर प्रभावित होगा तथा 2017 के बाद इस पर ग्रहण लग सकता है। अतः भारत के नेतृत्व में 50 देशों द्वारा कृषि सब्सिडी के मुद्दे पर नैरोबी घोषणा का विरोध किया गया, किन्तु कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। Indian Economy Questions Answers MCQ gk 2021 in hindi
उत्तर WTOकी दोहा दौर की वार्ता में यह निर्णय लिया गया था कि कोई भी अल्प विकसित देश कृषि हेतु 10 प्रतिशत सब्सिडी तथा विकसित देश 5 प्रतिशत सब्सिडी दे सकता है तथा बाली घोषणा के पीस क्लाॅज के तहत खाद्य सुरक्षा की सुविधा 5 वर्ष के लिए दी गई, लेकिन नैरोबी घोषणा-2015 में इन दोनों ही मुद्दों का कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला जा सका। इससे भारत का खाद्य सुरक्षा कानून सीधे तौर पर प्रभावित होगा तथा 2017 के बाद इस पर ग्रहण लग सकता है। अतः भारत के नेतृत्व में 50 देशों द्वारा कृषि सब्सिडी के मुद्दे पर नैरोबी घोषणा का विरोध किया गया, किन्तु कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। Indian Economy Questions Answers MCQ gk 2021 in hindi
प्रश्न5. मुद्रा-स्फीति के नकारात्मक प्रभाव लिखिए।
उत्तर मूल्यस्तर में लगातार वृद्धि एवं मुद्रा की क्रय-शक्ति में लगातार गिरावट ये दोनों स्थितियां एक साथ मौजूद हों, तो उसे मुद्रा स्फीति कहते हैं। नकारात्मक प्रभाव:
1. क्रय-शक्ति घटने से पहले की तुलना में वस्तुओं एवं सेवाओं का कम उत्पादन होगा।
2. गरीबी, भुखमरी एवं कुपोषण में वृद्धि होगी।
3. उत्पादन की गुणवत्ता घटेगी
4. ऋणदाता संस्थाओं को भारी नुकसान हो सकता है। 5. इससे मुद्रा सस्ती होगी।
6. आधुनिकीकरण नवाचार मंहगा/लागत बढ़ जाती है।
7. सरकार के कल्याणकारी कार्यक्रम प्रभावित होंगे।
उत्तर मूल्यस्तर में लगातार वृद्धि एवं मुद्रा की क्रय-शक्ति में लगातार गिरावट ये दोनों स्थितियां एक साथ मौजूद हों, तो उसे मुद्रा स्फीति कहते हैं। नकारात्मक प्रभाव:
1. क्रय-शक्ति घटने से पहले की तुलना में वस्तुओं एवं सेवाओं का कम उत्पादन होगा।
2. गरीबी, भुखमरी एवं कुपोषण में वृद्धि होगी।
3. उत्पादन की गुणवत्ता घटेगी
4. ऋणदाता संस्थाओं को भारी नुकसान हो सकता है। 5. इससे मुद्रा सस्ती होगी।
6. आधुनिकीकरण नवाचार मंहगा/लागत बढ़ जाती है।
7. सरकार के कल्याणकारी कार्यक्रम प्रभावित होंगे।